Monday, January 25, 2021

Class-9 Hindi Chapter 13 गीत – अगीत

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25/01/2021              CLASS-9                  SLOT-2

Hindi Chapter 13 गीत – अगीत

 

प्रश्न 1.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पॅक्तियों को लिखिए।

उत्तर-नदी किनारों को अपना विरह गीत सुनाते भागी जा रही है। नदी को ऐसा करता देख किनारे पर खड़ा गुलाब सोचता है कि यदि विधाता ने उसे वाणी दी होती तो वह भी पतझड़ के सपनों का गीत संसार को सुनाता।

इससे संबंधित पंक्तियाँ हैं-

देते स्वर यदि मुझे विधाता,

अपने पतझर के सपनों का

मैं भी जग को गीत सुनाता।


(ख) जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर-वसंती किरणों के स्पर्श से प्रसन्न हो शुक जब गीत सुनाता है तो वह गीत शुकी के मन को छू जाता है। उसके पंख फूल

जाते हैं। उसके मन में भी स्नेह भरे गीत उमड़ने लगते हैं, पर वह गा नहीं पाती है। उसका हृदय प्रसन्नता से भर जाता है।

 (घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।

उत्तर-कविता के प्रथम छंद में प्रकृति का सजीव चित्रण किया गया है। कवि ने नदी को विरहिणी नायिका के रूप में चित्रित किया है जो अपना दिल हल्का करने के लिए किनारों से बातें करती तेजी से सागर की ओर भागी जा रही है। नदी के किनारे खड़ा गुलाब इसलिए व्यथित है क्योंकि विधाता द्वारा स्वर न दिए जाने से वह अपनी पतझड़ की कहानी संसार को नहीं सुना पा रहा है।

 

(ङ) प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों का संबंध आदिकाल से रहा है। उनका यह संबंध आज भी घनिष्ठ है। एक ओर पशु-पक्षी अपने भोजन, आवाज एवं आश्रय के लिए प्रकृति पर निर्भर हैं तो वहीं पशु-पक्षी प्रकृति का श्रृंगार बनकर उसका सौंदर्य बढ़ाते हैं। यदि जंगल में पशु-पक्षियों का कलरव न पूँजे तो कितनी चुप्पी-सी होगी। इसके अलावा पशु-पक्षी प्रकृति को साफ़-सुथरा बनाए रखने में भी अपना योगदान देते हैं।


प्रश्न 2.संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-

(क) अपने पतझर के सपनों का

मैं भी जग को गीत सुनाता

उत्तर.संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘गीत अगीत नामक कविता में से उद्धृत है। इस कविता में उन्होंने गीत और मौन अनुभूति की तुलना करते हुए दोनों को सुंदर बताया है।

इस पद्यांश में नदी के किनारे खड़ा गुलाब मन-ही-मन सोचता है

व्याख्यायदि ईश्वर मुझे वाणी का वरदान देता तो मैं संसार को अपने उन दिनों के दुख अवश्य सुनाता जब मैंने स्वयं को पतझड़ जैसा सूना और वीरान अनुभव किया।


(ख) गाता शुक जब किरण वसंती

छूती अंग पर्ण से छनकर

उत्तर संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘गीत अगीत नामक कविता में से उद्धृत है। इस कविता में उन्होंने गीत और मौन अनुभूति की तुलना करते हुए दोनों को सुंदर बताया है। इस पद्यांश में शुक पर प्रकृति के प्रभाव को दर्शाया गया है।

व्याख्या कवि कहता है-जब सूरज की मनमोहक किरणे वृक्ष के पत्तों से छन-छनकर शुक के तन का स्पर्श करती हैं। तो वह प्रसन्न होकर गाने लगता है। आशय यह है कि वह प्रकृति की मोहकता से गद्गद हो उठता है।

 (ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की

बिधना यों मन में गुनती है।

उत्तर- संदर्भ प्रस्तुत पद्यांश प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘गीत अगीत नामक कविता में से उद्धृत है। इस कविता में उन्होंने गीत और मौन अनुभूति की तुलना करते हुए दोनों को सुंदर बताया है। प्रेमी के प्रेम भरे गीत को सुनकर उसकी प्रेमिका मुग्ध हो उठती है।

व्याख्या-मुग्ध प्रेमिका मन-ही-मन यह सोचती है कि हे विधाता! काश, मैं भी इस आनंदमय गीत की एक पंक्ति बनकर इसमें लीन हो जाती। मैं प्रेमी के प्रेम-भरे भावों में खो जाती।

 प्रश्न 3.निम्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन को समझने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य-विन्यास लिखिए-

उदाहरण : तट पर एक गुलाब सोचता

एक गुलाब तट पर सोचता है।

(क) देते स्वर यदि मुझे विधाता

उत्तर-यदि विधाता मुझे स्वर देते।

(ख) बैठा शुक उस घनी डाल पर

उत्तर-शुक उस घनी डाल पर बैठा है।

(ग) पूँज रहा शुक का स्वर वन में

उत्तर-शुक का स्वर वन में गूंज रहा है।

(घ) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की

उत्तर-मैं गीत की कड़ी क्यों न हुई।

(ङ) शुकी बैठ अंडे है सेती

उत्तर-शुकी बैठकर अंडे सेती है।

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Mrfarooqui