Monday, January 11, 2021

CLASS-8 HINDI LESSON-17 रहीमन-विलास

 EVENTS CONVENT HIGH SCHOOL
HINDI CLASS-8
LESSON-17
रहीमन-विलास



प्रश्न 2. अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

() कपूत की गति किसके समान होती है?
(
) कपूत की गति दीपक के समान होती है।

(
) रहीम के अनुसर अब कौन से वृक्ष दिखाई नहीं देते?
(
) रहीम के अनुसार अब घनी छाया देने वाले वृक्ष नहीं दिखाई देते।

(
) रहीम ने सबसे बड़ा लाभ किसे माना है?
(
) रहीम ने सबसे बड़ा लाभ समय के सदुपयोग को माना है।

(
) दीनबंधु के समान कौन हो जाता है?
(
) दीनबंधु के समान दीनों (गरीबों) को देखने वाले हो जाते हैं।

(
) पावस आने पर कौन मौन साध लेता है?
(
) पावस आने पर कोयल मौन साध लेता है। लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर


प्रश्न 3.()रहीमरिस की गाँसके विषय में क्या कहते हैं?
उत्तररहीमरिस की गाँसके विषय में यह कहते हैं कि अमृत ऐसे वचन हैं, जो रिस की गाँस अर्थात् क्रोध की चुभन को कम कर देते हैं।

()‘जीभ के बावलेपनका क्या दुष्परिणाम होता है?
उत्तरजीभ के बावलेपनका दष्परिणाम यह होता है कि वह तो भीतर चली जाती है और सिर को जूती खानी पड़ती है

()रहीम ने तन की तुलना नाव से क्यों की है?
उत्तररहीम ने तन की तुलना नाव से की है। यह इसलिए कि दोनों की गति एक ही तरह की होती है।

()कवि के अनुसारसच्चा मीतकौन है?
उत्तरकवि के अनुसारसच्चा मित्रवही होता है, जो विपत्ति में साथ देता है।

2 .निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए

 शब्द – विलोम शब्द
 उपकार – अपकार
  अमृत –  विष
 लाभ – हानि
 सबल – निर्बल
 अनुरक्ति – विरक्ति
 कपूतसपूत

 3 .निम्नलिखित तत्सम एवं तद्भव शब्दों को पहचानकर जोड़ी बनाइए

उत्तर
अधरोअंधकार
दीपदीया
स्वर्गसरग
जीभजिह् वा
कुपुत्रकपूत
दुग्धदुध

 4. दोहों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1. जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय
बारे अजियारो कर, बड़े अँधेरो होय 1

शब्दार्थ: कुल-वंश। दीप-दीपक। गति-दशा। उजियारो-अजेला।

संदर्भप्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तकसुगम भारती
(
हिंदी सामान्य) भाग-8 केपाठ-17’ केरहिमन-विलाससे ली गई हैं। इसके रचयिता कविवर रहीम हैं।


प्रसंगप्रस्तुत पक्तियों में रहीम ने कुपुत्र की दशा दीपक के समान बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या
कुपुत्र और दीपक की दशा एक ही होती है। दीपक के जलने पर प्रकाश होता है और बुझने पर अंधेरा हो जाता है। उसी प्रकार कुपुत्र का बचपन अच्छा लगता है लेकिन जब वह बड़ा हो जाता है, तब वह परिवार के लिए दुखदायक हो जाता है।

विशेष: भाषा में प्रवाह है।,यह अंश ज्ञानवर्धक है।

 

2. अमृत ऐसे वचन में, रहिमन रिस की गाँस
जैसे मिसिरिहु में मिली, निरस बाँस की फाँस।।2।।

शब्दार्थ:रिस की गाँस-क्रोध की चुभन !

संदर्भपूर्ववत्

प्रसंगप्रस्तुत पंक्तियों में कविवरम ने मीठी बोली के महत्त्व बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या- अमृत के समान मीठी बोली का बहुत ही अधिक महत्त्व और प्रभाव है। इससे क्रोध की चुभन समाप्त हो जाती है। यह ठीक उसी प्रकार से है, जैसे मिश्री में नीरस बाँस की फाँस का अभाव नहीं रहता है।
विशेष: मीठी बोली बोलने की सीख दी गई है।दोहा छंद है।

 

3. रहीमन अब वे विरठ कहैं जिनकी छाँह गंभीर।
यागन बिच-बिच देखियत, सेंहुड़ कुंज करीर 3

शब्दार्थ:बिरछ-पेड़ कुंज-लता। करीर-काँटेदार झाड़ी।

संदर्भपूर्ववत्।

प्रसंगप्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने उपकारी व्यक्तियों की हो रही कमी के बारे में कहा है कि

व्याख्या
आजकल वे बड़े-बड़े और घनी छाया देने वाले पेड़ नहीं दिखाई दे रहे हैं। आजकल तो बागों के बीच-बीच में सेंहुड़, लता और काँटेदार झाड़ियाँ ही दिखाई दे रही हैं।

विशेष :दोहा छंद है। , यह अंश आर्कषक है।।


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Mrfarooqui