EVENTS CONVENT HIGH SCHOOL
21/01/2021 CLASS-9 SLOT-2
HINDI
Chapter-10 एक फूल की चाह
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प्रश्न 1.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) कविता की उन पंक्तियों को निखिए, जिनमें निम्नलिखित अथं का बोध होता है-
(i) सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय काँप उठता था।
उत्तर- नहीं खेलना रुकता उसका
नहीं ठहरती वह पल-भर।
मेरा हृदय काँप उठता था,
बाहर गई निहार उसे।
(ii) पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा।
उत्तर-ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल;
स्वर्ण-कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि-कर-जाल।
(iii) पुजारी से प्रसाद/फूल पाने पर सुखिया के पिता की
मन:स्थिति।
उत्तर-भूल गया उसका लेना झट,
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोचा, -बेटी को माँ के ये
पुण्य-पुष्प दें जाकरे मैं।
(iv) पिता की वेदना और उसका पश्चाताप।
उत्तर-बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी,
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची
हुई राख की थी ढेरी!
अंतिम बार गोद में बेटी,
तुझको ले न सका मैं हा!
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा!
(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?
उत्तर-बीमार बच्ची सुखिया ने अपने पिता के सामने यह इच्छा प्रकट की कि वह देवी माँ
के मंदिर के प्रसाद का फूल चाहती है।
(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया
गया?
उत्तर-सुखिया का पिता उस वर्ग से संबंधित था, जिसे समाज अछूत समझता था। समाज के कुलीन
तथाकथित भक्तों ने इस वर्ग के लोगों का मंदिर में प्रवेश वर्जित कर रखा था। सुखिया
का पिता अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए मंदिर में प्रवेश कर गया। मंदिर की पवित्रता
नष्ट करने और देवी का अपमान करने का आरोप लगाकर उसे सात दिन का कारावास देकर दंडित
किया गया।
(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची
को किस रूप में पाया?
उत्तर-जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को राख की ढेरी के रूप में
पाया। उसकी मृत्यु हो गई थी। अतः उसके संबंधियों ने उसका दाह संस्कार कर दिया था।
प्रश्न 2.निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए
उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए-
(क) अविश्रांत बरसा करके भी
आँखें तनिक नहीं रीतीं।
उत्तर- आशय- सुखिया
के पिता को मंदिर की पवित्रता नष्ट करने और देवी को अपमानित करने के जुर्म में सात
दिन का कारावास मिला। इससे उसे बहुत दुख हुआ। अपनी मरणासन्न पुत्री सुखिया को यादकर
वह अपना दुख आँसुओं के माध्यम से प्रकट कर रहा था। सात दिनों तक रोते रहने से उसकी
व्यथा कम न हुई।
अर्थ सौंदर्य- बादलों के एक-दो दिन बरसने से ही उनका जल समाप्त हो जाता
है और वे अपना अस्तित्व खो बैठते हैं। सुखिया के पिता की आँखों से सात दिन तक आँसू
बहते रहे फिर भी आँखें खाली नहीं हुईं । अर्थात् उसके हृदय की वेदना कम न हुई।
(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी।
उत्तर-आशय-जब सुखिया का पिता जेल से छूटा तो वह श्मशान में गया। उसने देखा कि वहाँ
उसकी बेटी की जगह राख की ढेरी पड़ी थी। उसकी बेटी की चिता ठंडी हो चुकी थी।
अर्थ-सौंदर्य-इसमें करुणा साकार हो उठी है। चिता का बुझना और उसे देखकर पिता की छाती
को धधकना दो मार्मिक दृश्य हैं। ये पाठक को द्रवित करने की क्षमता रखते हैं। चाक्षुष
बिंब।
(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी।
अटल शांति-सी धारण कर।
उत्तर-आशय- सुखिया
का पिता अपनी मरणासन्न पुत्री को देखकर सोच रहा था कि सुखिया, जो दिन भर खेलती-कूदती
और यहाँ-वहाँ भटकती रहती थी, बीमारी के कारण शिथिल और लंबी शांति धारण कर लेटी पड़ी
है।
अर्थ सौंदर्य- तेज़ बुखार ने सुखिया को एकदम अशक्त बना दिया है। वह बोल
भी नहीं पा रही है। सुखिया को उसकी शांति अटल अर्थात् स्थायी लग रही है अब वह शायद
ही बोल सके।
(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी।
उत्तर-आशय-इसमें ढोंगी भक्तों ने सुखिया के पिता पर मंदिर की पवित्रता नष्ट करने का
भीषण आरोप लगाया है।
सियारामशरण गुप्त वे कहते हैं-सुखिया का पिता पापी है। यह अछूत है। इसने मंदिर में
घुसकर भीषण पाप किया है। इसके अंदर आने से मंदिर की पवित्रता नष्ट हो गई है।
अर्थ-सौंदर्य-तिरस्कार और
धिक्कार की भावना प्रकट करने के लिए यह पद्यांश सुंदर बन पड़ा है। ‘पापी’ और ‘बड़ा
भारी अनर्थ’ शब्द तिरस्कार प्रकट करने में पूर्णतया समर्थ हैं।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1.‘बेटी’ पर आधारित निराला की रचना ‘सरोज-स्मृति’
पढ़िए।
उत्तर-छात्र सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ रचित कविता ‘सरोज स्मृति’ पुस्तक से लेकर
स्वयं पढ़ें।
प्रश्न 2.तत्कालीन समाज में व्याप्त स्पृश्य और अस्पृश्य
भावना में आज आए परिवर्तनों पर एक चर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर-पहला छात्र – एक
समय था, जबकि हमारे समाज में ऊँच-नीच और छुआछूत का बोलबाला था।
दूसरा छात्र – यह बुराई आज कम हो गई है। परंतु पूरी तरह मिटी नहीं है।
तीसरा छात्र – आज तो छुआछूत को अपराध घोषित कर दिया गया है।
चौथा छात्र – अपराध घोषित होने से कुछ नहीं होता। समाज में समस्या ज्यों की
त्यों है। कुछ जातियों को नीच मानकर बड़ी जातियों के लोग उनसे दूर रहते हैं।
पाँचवा छात्र – आरक्षण के कारण यह समस्या और अधिक बढ़ गई है। छठा छात्र-मेरे विचार में आरक्षण के कारण यह समस्या कम होगी।